
वैसे मेरा नाम आरती शेजवलकर हैं! मै यहाँ पर जब इंटरव्यू देने के लिए आई तो इतना विश्वास नही था की में यहाँ पर सेलेक्ट हो जाउंगी! मोनाली मैडम नें जब मुझे और प्राची को फ़ोन करके बोला तो यकीन ही नही हुआ था! प्राची और मैंने साथ साथ ज्वाइन किया! कॉलेज के साथ साथ हमने कैरियर की शुरुवात भी एक ही दिन की! इन्टर्न शिप के पहले दिन में बहुत डरी हुई थी! कि यहाँ के सर , मैडम और बाकि का स्टाफ कैसा होगा? यहाँ पर आकर मेरी मुलाकात मारी , और निधि से हो गई! वो भी यहाँ पर इन्टर्न ही थे! हमारे सीनियर इन्टर्न...... लेकिन वो हम से एक बहन भाई की तरह ही पेश आते थे! संजय सर जो कि यहाँ के सीनियर एडिटर हैं...... पहले तो डर लगा था.....लेकिन उनसे मिलने के बाद मन में जो घबराहट थी वो भाग गई....संजय सर नें हमें, पेपर पढ़ना कितना फायदेमंद होता हैं, छोटीसी न्यूज़ लेकर उसे किस तरह से लिखा जाता हैं और इसके तौर तरीके और उसकी अहमियत, सर नें समझाई! एक सर की तरह नही बल्कि एक दोस्त की तरह......
फ़िर रोज सुबह पेपर पढो और उसके बाद उसमें से कुछ अच्छी ख़बर जो की हम BIG FM पर भेज सकते हैं! उस ख़बर को अपनी भाषा में भेजो! मेरा पहला शूट था ईद का..... लेकिन मुझे उस कहानी का कांसेप्ट ही पता नही चला! फ़िर क्या था कैमरामैन राजेंद्र सर की डाट खानी पड़ी! लेकिन उसी डाट से मुझे सिखाने को मिला! किसी ने ठीक ही कहा हैं कि जो होता हैं वो अच्छे के लिए ही होता हैं!. फ़िर शूट पे शूट..... .कुनाल सर के साथ में द्रोणा फ़िल्म के प्रीमियर में गई! अभिषेक , अमिताभ बच्चन जिनको देखने के लिए लोग तरसते है! और मुझे इस माध्यम से उनको सवाल पूछने का मौका मिला था! वो मेरा दूसरा शूट था! और उसमें शाहरुख़ नें आकर तो चार चाँद लगा दिए! पर उसकी बाईट लेते वक्त मुझे मेरी नानी याद आ गई थी! क्योंकि वहां पर मेरा एक रिपोर्टर के साथ झगडा हो गया था! बाद मे कुनाल सर नें वहाँ आकर सारा मामला खतम किया! बल्कि सर नें जो कि उनकी बेस्ट फ्रेंड थी, उसको खूब सुनाई! सच मे KUNAL SIR IS GREAT...... मेरा वन टू वन विद्या मालदेव के साथ था तो थोडी घबराहट थी लेकिन दिनेश नागर जो कि यहाँ के कैमरामैन हैं उनहोंने मुझे काफी सपोर्ट किया! काम तो IBN7 में करती थी लेकिन मेरी ज्यादा पहचान IBNलोकमत में हुई! पता हैं क्यों? क्योंकि मेरी हाईट बहुत ही छोटी थी! उनको लगता था कि मै स्कूल की बच्ची हूँ! यहाँ पर सब मुझे बाल मजदूर कहने लगे! सुनने में अजीब लगता था लेकिन ये लोग किसी और कारण से नही बल्कि प्यार से बोलते थे!
रवि सर जो कि यहाँ के ब्यूरो चीफ हैं! उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट लिखने को दी! तो उसमे गलती हो गई थी! क्या करूँ कुछ समझ में नही आ रहा था! तो सर नें एक स्क्रिप्ट और दी और फ़िर कहा कि इसमें से एक गलती को ढूंढ के दिखा! मैंने काफी ढूँढा लेकिन ढूंढ ही नही पाई! मगर सर नें एक ही वर्ड में बताया कि यह गलती हैं! तो समझ में आया कि स्क्रिप्ट कैसी लिखी जाती हैं! RAVINDR AMBEKAR SIR IS SUCH A GREAT MAN ... यहाँ पर काम तो इतना होता हैं कि फुर्सत ही नही मिलती! तो लगातार काम करने से जो थकान आती है या फ़िर BORE हो जाता है! इसीलिए आखरी शुक्रवार को happy hour होता है! इस शुक्रवार दिनभर काम की उलझन मे रहने वाले यहाँ पर ये एक घंटा गानों पर थिरककर और स्वादिष्ट खानों का मज़ा लूट कर ही होता हैं!यहाँ के जो नरेन्द्र सर हैं वो है तो साउथ इंडियन लेकिन मराठी इतनी अच्छी बोलते हैं कि पता ही नही चलता! अगर हमसे कोई भी गलती हो जाए तो चिलाते या फ़िर डांटते नही! बल्कि उस गलती से हमें सीखकर आगे दुबारा एसी गलती ना हो सके, तो उसके लिए क्या करना चाहिए! वो हमे अपने मजाकिया अंदाज़ मे बताते थे!
यह हैं मेरी IBN7 की INTERNSHIP...... जो कि मेरे भविष्य के लिए बहुत ही मायने रखती हैं! रवि सर ने सिखाई छोटी सी छोटी बातों से कैसे लिखी जाती हैं स्क्रिप्ट....... वक्त को कीमती समझकर कैसे उसका फायदा उठाना चाहिए! कुनाल सर की एक दोस्त की तरह की हुई मदद....... और ऋषि सर जिन्होंने मुझे एक छोटी बहन का दिया हुआ नाता....... ये सारे लम्हे मेरी जिन्दगी के कुछ ऐसे लम्हे हैं! जिसने मेरी जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे! इन्ही लम्हों के साथ साथ मुझे ऐसे फ्रेंड भी दिए जो शायद ही किसी नसीबवालों को मिले! सनिल नें तो मुझे अपनी छोटी बहन बनाया और तनुजा जो कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त यानि कि हमदर्द बन गई... निवेदिता और परवीन ने भी मुझे छोटी बहन के साथ साथ एक अच्छी दोस्त बनाया! तो इस INTERNSHIP नें मुझे करियर के लिए दिशा तो दी लेकिन ऐसे दोस्त मिले जो जिंदगी का हिस्सा बन गए! और याद बनकर रह गए वो लम्हे......
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