सोमवार, 5 जनवरी 2009

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं......

आप सभी को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.......
आपका ब्लॉग पढकर काफी अच्छा लगा! इन्टर्नस् से काफी कुछ सीखने को मिलता हैं हमें..... सीधे शब्दों में कहें तो जनरेशन गैप करने का अच्छा मौका...... कुछ इन्टर्न सच में काफी मेहनती थे..... कुछ स्लो लर्नर की तरह...... कुछ तो शायद ही पत्रकारिता में अपना करिअर बना पाए.... पांचो उंगलिया एक समान नहीं होती! मेहनत करनी पडेगी...... टक्कर देते रहना होगा...... जब तक दरवाजा खुल ना जाए.....।


इन्टर्न्स की एक अलग दुनिया होती हैं! ग्लैमर, कुछ करने की इच्छा..... लेकिन समझ में नहीं आता कि ये कुछ होता क्या हैं? करिअर की लडाई में अगर अच्छा गाइडन्स नहीं मिला तो पूरा करिअर चौपट..। कई इन्टर्न्स आते हैं उन्हे कुछ पता नहीं होता ऐसे हम कहते...... वो कुछ पता करने की कोशिश नहीं करते! पत्रकारिता में आपको हमेशा आपके कान, नाक, आँखे दिल - दिमाग खुला रखना पडता हैं! अपना ट्रैक खुद चुनना पडता हैं! मॅच्युरिटी तो उम्र के साथ आती हैं, लेकिन हम पत्रकार हैं, समाज को दिशा दिखाने वाले..... लोगो की उम्मीद होती हैं कि हमने हाथ में कलम - बूम पकड़ा हैं तो हम मॅच्यूअर होंगे ही और इस उम्मीद में गलत कुछ भी नहीं हैं!


प्रिंट में पत्रकार मॅच्यूअर होते वक्त दिखाई नहीं देते क्योंकि मॅच्यूअर्ड होने के बाद ही उन्हे नाम मिलता हैं! हमारे साथ वैसा नहीं हैं.....हम नौकरी के पहले दिन से ही लोगों के सामने होते हैं! हमें नौकरी के पहले दिन से नाम मिलता हैं..... पहचान मिलती हैं...... अच्छी - बुरी हर तरह की......। काफी मेहनत और लगन की आवश्यकता हैं इस काम को निभाने में...... निजी जिंदगी नर्क बन सकती हैं...... एक अच्छे पत्रकार को एक अच्छा बैलेन्स इन्सान भी बनना चाहिए! मैं काफी कम बोलता हूँ! क्योंकि सामने वाले आदमी को समय देना चाहिए ऐसा मैं मानता हूँ! जब तक जरूरत ना हो तब तक किसी को टोकने का कोई मतलब नहीं होता! गलतियां करने देनी चाहिए क्योंकि उसी से आदमी सीखता हैं.। गलतियाँ करने की उम्र में गलतियाँ की जाए तो वो माफ हो सकती हैं! अगर आप वो उम्र खो देते हैं, तो आपकी गलतियों की कोई माफी नहीं होती! उदाहरण के तौर पर अगर मैं कोई गलती करता हूँ तो मेरी सजा कुछ और हो सकती हैं जो कोई सोच भी नहीं सकता! शायद कोई गलती आपके पूरे करिअर के ग्राफ को बदल सकती हैं!


हाँ मैं गलतियाँ बताता जरूर हूँ! लेकिन मुझे जितने भी इन्टर्न्स मिले हैं, उन्होंने सूचनाओं को पॉजिटीवली लिया हैं! यहीं बात मुझे अच्छी लगी! टीवी पत्रकारीता में आपको तेज और स्मार्ट होना पडता हैं! मैने जितने भी इन्टर्न्स देखे हैं वो मिडलक्लास मानसिकता से जूझते हुए दिखाई दिए..... एक ओर कॉन्फिडन्स डगमगा जाता हैं! नसें खिंच जाती है! बोलती बंद हो जाती हैं! गला सूख जाता हैं! दिमाग में सब कुछ सेट होता हैं, पर बोल नहीं पाते!


तो दूसरी ओर सभी चीजों का कॉन्फिडन्स के साथ सामना करते हुए लड़के- लड़कियाँ..... दिमाग में कुछ हो ना हो पर जुबान कभी डगमगती नहीं.... ओर न ही बोली लडखडाती है! कोई बात नहीं..... दूसरी कैटेगरी के लोग लाइफ में कभी ना कभी फ़ेल हो सकते है! लेकिन जिसके दिमाग में सब कुछ सेट हैं, दिमाग सही दिशा में चल रहा हैं, उसे कोई मात नहीं दे सकता! लाइफ में कॉन्फिडन्स कमाया जा सकता हैं दिमाग नहीं.......


दिमाग पर भरोसा रखो..... रिस्पॉन्स टाइम की कसरत करना शुरू करो...... किस घटना पर आपका दिमाग कितने देर में कार्यान्वित होता हैं, और कितने देर में आप आउटपुट देते हो इस पर आपका टेलिविजन का करिअर निर्भर हैं! बाकि के लोगों के लिए प्रिंट से अच्छा कोइ रास्ता नहीं हैं! नए वर्ष में आपको और ज्यादा सीखने को मिले इसी अपेक्षा के साथ विदा लेता हूँ! और आखिरी बात...... नरेंद्र साउथ इंडियन नहीं बल्कि मराठी हैं!

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं......

सोमवार, 15 दिसंबर 2008

I miss my internship day......

मेरा नाम निधि सिन्हा है, और में बिहार (बरौनी) से हूँ! जर्नलिस्ट बनने का शौक तो मुझे फिफ्थ क्लास से ही था और इस कारण मेंने Indira School of Mass Communication , पुणे मे PG कोर्स मे admission ले लिया....! 27March 2008 को मेने Ibn7 मे इंटेर्नशिप के लिए इंटरव्यू दिया और स्लेक्ट हो गई! तुरंत ही मुझे 1st April से join करने की इजाज़त् दे दी गई! खुशी तो इतनी थी, ऐसा लगा कि जॉब ही मिल गई हो! लेकिन मुंबई जैसे शहर मे घर मिलने की थोडी प्रॉब्लम थी! जिस कारण मुझे Bindu ma'am (HR) से बात करनी पड़ी! अब उसमे भी मुझे काफ़ी सकोच लग रहा था!

खैर मैंने Bindu ma'am को फोन लगाया! मैंने अपने बारे मे बताया और बोली ma'am may i join after 2 to 3 days.........she was like ok but you have to join from 2nd april..........thanks ma'am thanks a lot ये बोल कर i cut the call n take a long breath ma'am की बात से मुझे लगा.....i will learn something from here.....bcoz कुछ लोगो का ये कहना था कि you will join as an intern and you have to shit in office and injust tapes......जॉ बात बिल्कुल ग़लत साबित हुई!


Ibn7 मे में थर्ड डे से ही शूट पर गई! Sanjay sir (senior editor) ने पहले दिन मुझे 92.7 FM के लिए न्यूज़ लिखने कों बोला! तब मुझे लगा मैं ये काम करने थोडी ही यहाँ आई हूँ! ........लेकीन i have to do सर ने जो बोला था and......... it was interesting. वहां पर पहले से काम कर रहे intern अनिता और आलोक से मेंने पूछा सर ये काम करने को क्यू बोल रहे है.......? तो उन लोगो का कहना था field reporting करना है तो इस काम को सीखना पड़ेगा! और दूसरे दिन ही शाम को Sonali ma'am ने मुझे अगले दिन सुबह 7 के बजाए 9 बजे आने को बोला! क्योंकि सुबह 7 का मतळब आकर FM के लिए न्यूज़ लिखना! काफ़ी खुशी हुई अगले दिन तो शायद मैं फील्ड रिपोर्टिंग पर जाऊँ!


मुझे क्रिकेट प्लेयर शोएब अख़तर के बाईट लाने को मुंबई airport भेजा गया and i was so happy........n i started preparing questions for शोएब but.........वो नही आए.......मेरे साथ गए कैमरामैन ने बोला "तुम इन्टर्न हो न अभी एक-दो दिन ऐसा ही होगा".......गुस्सा तो आया क्योंकि पूरे रास्ते में questions जो prepair करते गई थी! शोएब से पूछने वाले सवाल......और बस वो pripair ही रह गया खैर क्या करती ऑफिस वापस आगई! फिर अगले दिन मुझे लिट्ल चॅंप्स की विंनर रही ऐश्वर्या की बाईट लाने को भेजा गया! जो onair भी हुई और मुझे वो बाईट देख कर काफ़ी खुशी हूई! क्योंकि मेरे द्वारा लिया गया वो पहला बाईट था जो onair हुआ! और फील्ड रिपोर्टिंग का सिलसिला यूहीं आगे बदता गया......Sanjay Sir के डर से मुझे न्यूज़ पेपर पढ़ना आ गया और Nishat sir की कृपा से मुझे स्टोरी कैसे और कहाँ से ढूंढते है वो आगया!


बस इसी बीच Sanjay sir ने money tranfer from mobile.....से related स्टोरी करने को कहा और उन्होने इस स्टोरी के लिए नरीमन पॉइंट भेजा! मगर रास्ते मे ऑफिस की गाड़ी खराब हो गई.....और मुझे दूसरी गाड़ी से जाना पड़ा! खैर समय से थोडी देर ही सही लेकिन मैं पहुँच तो गई! लेकिन बाईट लेने मे थोडी लेट हो गई! क्योंकि मेरे साथ जो कैमरामैन गए थे, वो नए थे और उन्होने कैमरा सैटिंग मे ज़्यादा टाइम लगा दिया......Sanjay sir ने मुझे ये भी कहा की 2-3 good looking face वालो से भी पूछ लेना कि क्या उन्हे मालूम है? कि.....mobile से money transfer from .............और उनकी क्या राय है? जिस वजह से में अटरिया मौल गई......कोई बोलने को तैयार नही, तो किसी को मोबाइल से मनी ट्रान्स्फर पता नही! किसी तरह मेंने दो लोगो से बात की और उनकी राय ली! जिसमे मुझे काफ़ी देर हो गई!


इसीबीच Sanjay sir का फोन भी आ रहा था और काफ़ी गुस्से मे बोल रहे थे! इतना टाईम तुम एक स्टोरी करने मे लोगी तो तुम क्या क्या काम करोगी? तुम ऑफिस आजाओ तुम से काम नही हो सकता! मैं लोगो की बाईट लेकर सोचती हुई वाप़स आ रही थी की आज से मेरी छुट्टी हो गई......सर तो यही बोलेगे तुम्हे कल से आने की जरूरत नही है! ऑफिस पहुँच कर मैं सर से बिना मिले ही टेप अपलिंक करवाने चली गई! टेप अपलिंक करवाते वक़्त फिर सर का फोन आया! मैं सर को जल्दी से बोली कि में टेप इंजस्ट करवा रही हूँ! ताकि सर थोड़ा कम गुस्सा हो! फिर भी सर ने बोला जल्दी आओ! शायद स्कूल के टीचर से भी इतनी नही डरी थी! परन्तु जब मैं सर के पास गई तो सर कुछ ज़्यादा नही बोले! पर मेरी सूनी भी नही कि में लेट क्यू हूई...? पर मैं खुश थी.....सर ने मेरी छुट्टी जो नही की! वैसे मैं इस शूट से ये सीख गई की आम लोगो से बाईट कैसे लेते है! क्योंकि कुछ लोग कैमरे के सामने जल्दी बोलने को तैयार नही होते है! और अगर सर मेरे से रुढ़ली बात नही करते तो शायद मैं बाईट नही लापाती!


वैसे मुझे ऑफिस मे सब से ज़्यादा डर Ravi sir और Sanjay sir से लगता था! Ravi sir इन्टर्न से कम बात करते थे लेकिन ध्यान बहुत रखते थे! जब भी उन से कुछ पूछती तो सर बताते और समझाते की ऐसा करो ऐसा नही करो.....और.......Narendra sir की तो जितनी भी तारीफ की जाए तो कम है! क्योंकि वो कभी गुस्सा ही नही होते थे! सर ने मुझे स्क्रिप्ट लिखने का खूब मौका दिया! सीधे तौर पे यू कहू की सर ने मुझे स्क्रिपटिंग सिखाई! Manoj sir की वजह से IPL मे जाने का मौका मिला तो Sushobhan sir की वजह से Little master Sachin Tendulkar से मिलने और बात करने का मौका मिला! मेरे द्वारा लाई गई Manoj Tiwari ( Bhojpuree Actor) की बाईट ली! Tariq sir ने काफ़ी प्रसंशा की! entreainment, crime, sports से हटकर बात करे तो Ravi sir और J.P. Sir की वजह से मुझे कुछ पॉलिटिशियन्स से मिलने का और बाईट लेने का mauka mila! जैसे विलासराव देशमुख, नितिन गदकारी, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, शरद पवार.......आर.आर पाटील........


IBN7 के जितने भी cameraman है सभी काफ़ी अचछे है इन्फेक्ट वो फील्ड मे सीखाते है की काम कैसे किया जाए! शायद इतने अच्छे कैमरामैन दूसरी जगह न मिले!. वैसे दीपेश सर के बारे मे सुनी थी की वो इन्टर्न पे काफ़ी गुस्सा करते है! लेकिन मेरे साथ ऐसा कभी कुछ नही हुआ!. बस एज ए इन्टर्न उनकी बात थोडी माननी होगी! और trypod खुद से उठानी होगी! वैसे एक महीने मे सबसे ज़्यादा में दीपेश सर के साथ ही शूट पर गई! वैसे कैमरामैन मे अशरफ आहूदी काफ़ी कूल तो है, साथ ही एक अचछे सिंगर भी..... पर पता नही वो कैमरे के पीछे कैसे हैं...? जर्नलिस्ट की लॅंग्वेज मे ये एक सवालिया निशान है!!!


"कुछ न्यूज़ चैनल वालो का तो ये मानना है कि जिसने IBN7 मे internship करली वो कही भी काम कर सकता है!" और इसका फायदा मुझे हुआ भी क्योंकि जब मै दूसरी जगह एज ए इन्टर्न join हुई , तो मुझे पहले दिन ही शूट पर भेज दिया गया! क्योंकि मैं IBN7 से internship कर के आई थीं! वैसे देखा जाए तो IBN7 मे इन्टर्न को "बाल मजदूर" की उपाधि दी गई है! पर वॅल्यू और काम एक रिपोर्टर की तरह........कभी भी Ravi sir या Sanjay sir ये नही सोचते थे! कि इन्टर्न को इस शूट पर भेजु या नही..... जो रिपोर्टर्स भी है उन्होने मुझे अपने शूट पर जाने की खूब इजाज़त् दी....... "SUCH A NICE PLACE TO LEARN". मैने अपने एक महीने के internship मे एक दिन की भी छूट्टी नही ली! इसी वजह से मुझे सनडे का दिन सबसे अचछा लगता था! क्योंकि भीड़ भी कम होती थी, और काम भी..........


इसी दरमियान एक दिन मुझे IBN7 की टीम मे क्रिकेट खेलने का मौका मिला.......एंड वी वॉन द मैच.... एक महीने का सफर कैसे तय हो गया ये पता ही नही चला! Ravi sir और Sanjay sir ने हमे दादर के हिंदुजा रेस्टोरेंट मे हमे पार्टी दी क्योंकि हमारी ( मेरी, खुश्बू और आलोक) internship पूरी हो गई! Ravi sir , sanjay sir और Manoj sir ने हमारे साथ लंच किया! ये हम लोगो के लिए काफ़ी खुशी की बात थी! क्योंकि सर लोगो के पास इतना टाइम नही होता कि वो हमारे साथ कही जाये, मै जितने भी शूट पर गई सब पर अकेले ही गई इसीलिए सर लोगो के साथ लंच करना बहुत अचछा लगा! thanx sir.... thanks alot.....


वैसे तो मीडिया का नाम सुनते ही आम आदमी कुछ भी सोच लेता है लेकिन IBN7 तो जैसे "कीचड़ मे कमल" ....... बीते हुए उन लम्हों को टाइप करते-करते शायद मैं फिर से इंटेर्नशिप की दुनिया मे खो जाऊँ! that's why I say........ I miss my internship day.........

सोमवार, 1 दिसंबर 2008

आदाब, सलाम , नमस्कार.......

ये जानकर आपको बहुत खुशी होगी! कि मैं ibn7 के सभी लोगों को बहुत कम दिनो मे बहुत अच्छे तरीके से जानता हूँ! वाकई सभी लोग बहुत अच्छे हैं! हाँ प्रशांत भ़ट्ट कैमरामैन को छोड कर. लेकिन ये भी सच है कि हर कोई सभी के लिये सही या हर कोई गलत नहीं हो सकता है! और अगर मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हूँ! तो वो हैं हमारे हरदिल अजीज "निशात शम्सी" सर जिन्होने हमें स्क्रिप्ट का बेसिक फण्डा सिखाया है! और उनके काम करने का तरीका बिल्कुल अलग है! यानी वे कभी भी और जर्नालिस्ट की तरह जोश में होश नहीं खोते है!

गुरुवार, 13 नवंबर 2008

वो लम्हे......

IBN7 में आज मेरा आखिरी दिन है! यकीन ही नही हो रहा हैं... कैसे ये महीना बीत गया, पता ही नही चला.. ... इस IBN7 में इन्टर्न शिप के दौरान बहुत सी ऐसी बाते हैं, जो मेरे कैरियर के लिए बहुत फायदेमंद हैं! लेकिन इन खट्टी-मीठी यादों के साथ - साथ कुछ ऐसी बातें भी हैं,जो कभी कभी आंखों में नमी दे गई!

वैसे मेरा नाम आरती शेजवलकर हैं! मै यहाँ पर जब इंटरव्यू देने के लिए आई तो इतना विश्वास नही था की में यहाँ पर सेलेक्ट हो जाउंगी! मोनाली मैडम नें जब मुझे और प्राची को फ़ोन करके बोला तो यकीन ही नही हुआ था! प्राची और मैंने साथ साथ ज्वाइन किया! कॉलेज के साथ साथ हमने कैरियर की शुरुवात भी एक ही दिन की! इन्टर्न शिप के पहले दिन में बहुत डरी हुई थी! कि यहाँ के सर , मैडम और बाकि का स्टाफ कैसा होगा? यहाँ पर आकर मेरी मुलाकात मारी , और निधि से हो गई! वो भी यहाँ पर इन्टर्न ही थे! हमारे सीनियर इन्टर्न...... लेकिन वो हम से एक बहन भाई की तरह ही पेश आते थे! संजय सर जो कि यहाँ के सीनियर एडिटर हैं...... पहले तो डर लगा था.....लेकिन उनसे मिलने के बाद मन में जो घबराहट थी वो भाग गई....संजय सर नें हमें, पेपर पढ़ना कितना फायदेमंद होता हैं, छोटीसी न्यूज़ लेकर उसे किस तरह से लिखा जाता हैं और इसके तौर तरीके और उसकी अहमियत, सर नें समझाई! एक सर की तरह नही बल्कि एक दोस्त की तरह......

फ़िर रोज सुबह पेपर पढो और उसके बाद उसमें से कुछ अच्छी ख़बर जो की हम BIG FM पर भेज सकते हैं! उस ख़बर को अपनी भाषा में भेजो! मेरा पहला शूट था ईद का..... लेकिन मुझे उस कहानी का कांसेप्ट ही पता नही चला! फ़िर क्या था कैमरामैन राजेंद्र सर की डाट खानी पड़ी! लेकिन उसी डाट से मुझे सिखाने को मिला! किसी ने ठीक ही कहा हैं कि जो होता हैं वो अच्छे के लिए ही होता हैं!. फ़िर शूट पे शूट..... .कुनाल सर के साथ में द्रोणा फ़िल्म के प्रीमियर में गई! अभिषेक , अमिताभ बच्चन जिनको देखने के लिए लोग तरसते है! और मुझे इस माध्यम से उनको सवाल पूछने का मौका मिला था! वो मेरा दूसरा शूट था! और उसमें शाहरुख़ नें आकर तो चार चाँद लगा दिए! पर उसकी बाईट लेते वक्त मुझे मेरी नानी याद आ गई थी! क्योंकि वहां पर मेरा एक रिपोर्टर के साथ झगडा हो गया था! बाद मे कुनाल सर नें वहाँ आकर सारा मामला खतम किया! बल्कि सर नें जो कि उनकी बेस्ट फ्रेंड थी, उसको खूब सुनाई! सच मे KUNAL SIR IS GREAT...... मेरा वन टू वन विद्या मालदेव के साथ था तो थोडी घबराहट थी लेकिन दिनेश नागर जो कि यहाँ के कैमरामैन हैं उनहोंने मुझे काफी सपोर्ट किया! काम तो IBN7 में करती थी लेकिन मेरी ज्यादा पहचान IBNलोकमत में हुई! पता हैं क्यों? क्योंकि मेरी हाईट बहुत ही छोटी थी! उनको लगता था कि मै स्कूल की बच्ची हूँ! यहाँ पर सब मुझे बाल मजदूर कहने लगे! सुनने में अजीब लगता था लेकिन ये लोग किसी और कारण से नही बल्कि प्यार से बोलते थे!
रवि सर जो कि यहाँ के ब्यूरो चीफ हैं! उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट लिखने को दी! तो उसमे गलती हो गई थी! क्या करूँ कुछ समझ में नही आ रहा था! तो सर नें एक स्क्रिप्ट और दी और फ़िर कहा कि इसमें से एक गलती को ढूंढ के दिखा! मैंने काफी ढूँढा लेकिन ढूंढ ही नही पाई! मगर सर नें एक ही वर्ड में बताया कि यह गलती हैं! तो समझ में आया कि स्क्रिप्ट कैसी लिखी जाती हैं! RAVINDR AMBEKAR SIR IS SUCH A GREAT MAN ... यहाँ पर काम तो इतना होता हैं कि फुर्सत ही नही मिलती! तो लगातार काम करने से जो थकान आती है या फ़िर BORE हो जाता है! इसीलिए आखरी शुक्रवार को happy hour होता है! इस शुक्रवार दिनभर काम की उलझन मे रहने वाले यहाँ पर ये एक घंटा गानों पर थिरककर और स्वादिष्ट खानों का मज़ा लूट कर ही होता हैं!यहाँ के जो नरेन्द्र सर हैं वो है तो साउथ इंडियन लेकिन मराठी इतनी अच्छी बोलते हैं कि पता ही नही चलता! अगर हमसे कोई भी गलती हो जाए तो चिलाते या फ़िर डांटते नही! बल्कि उस गलती से हमें सीखकर आगे दुबारा एसी गलती ना हो सके, तो उसके लिए क्या करना चाहिए! वो हमे अपने मजाकिया अंदाज़ मे बताते थे!
यह हैं मेरी IBN7 की INTERNSHIP...... जो कि मेरे भविष्य के लिए बहुत ही मायने रखती हैं! रवि सर ने सिखाई छोटी सी छोटी बातों से कैसे लिखी जाती हैं स्क्रिप्ट....... वक्त को कीमती समझकर कैसे उसका फायदा उठाना चाहिए! कुनाल सर की एक दोस्त की तरह की हुई मदद....... और ऋषि सर जिन्होंने मुझे एक छोटी बहन का दिया हुआ नाता....... ये सारे लम्हे मेरी जिन्दगी के कुछ ऐसे लम्हे हैं! जिसने मेरी जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे! इन्ही लम्हों के साथ साथ मुझे ऐसे फ्रेंड भी दिए जो शायद ही किसी नसीबवालों को मिले! सनिल नें तो मुझे अपनी छोटी बहन बनाया और तनुजा जो कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त यानि कि हमदर्द बन गई... निवेदिता और परवीन ने भी मुझे छोटी बहन के साथ साथ एक अच्छी दोस्त बनाया! तो इस INTERNSHIP नें मुझे करियर के लिए दिशा तो दी लेकिन ऐसे दोस्त मिले जो जिंदगी का हिस्सा बन गए! और याद बनकर रह गए वो लम्हे......

सोमवार, 3 नवंबर 2008

मेरा संस्मरण.....


मै अकेला ही चला था "जानिब - ए - मंजिल" मगर......
लोग मिलते गए और कारवां बनता गया.......
सबसे पहले मै शाहबाज़ अहमद, आपका शुक्रिया अदा करता हूँ! कि आपने IBN7INTERNS के ब्लॉग को अपना कीमती समय दिया! पहले मै अपने बारे मे बता देता हूँ! मै नजीबाबाद, जिला बिजनौर, उत्तर-प्रदेश का रहने वाला हूँ! पिछले ढाई सालो से मै पूना मे मास-कम्युनिकेशन (जर्नलिज्म) कर रहा हूँ! और जर्नलिज्म के 3rd इयर का स्टुडेंट हूँ!
खैर अब आगे बात करता हूँ अपनी INTERNSHIP की...... IBN7 न्यूज़ चैनल के सभी EMPLOYES का मै तहे - दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ! लेकिन उन सब मे सबसे पहले मोनाली मैडम और बिन्दु मैडम को धन्यवाद देना चाहूँगा! जिन्होंने मुझे यहाँ पर INTERNSHIP करने का मौका दिया! और फ़िर ०४ अक्टूबर २००८ से मेरी INTERNSHIP शुरू हो गई!
जहाँ तक मेरा मानना है...... IBN7 मे शायद मै ही पहला ऐसा INTERN रहा हूँ! जो पहले ही दिन शूट पर गया हो! और फ़िर तीसरे दिन किसी EVENT मे किसी सेलेब्रिटी की बाईट ली हो! इस न्यूज़ चैनल मे ३० दिनों की INTERNSHIP मे सिर्फ़ ३ ही दिन ऐसे बीते जब मै UNIT ना होने की वजह से शूट पर नही जा पाया! और इस बात का सारा श्रेय नरेन्द्र सर और मोनाली मैडम को जाता है!
धीरे - धीरे दिन कैसे बीतते गए, वक्त का कुछ पता ही नही चला! रोज़ सुबह को १० बजे ऑफिस पहुँचना और रात को लौटने का तो कोई वक्त ही नही था! रात को कभी १०:३० बजे से पहले मै घर नही गया! कभी - कभी तो मै रात के २ बजे घर लौटा! और जब मेरा आखिरी दिन था, तो पल्लवी मैडम ने मुझे IBN7 का CERTIFICATE दिया! फ़िर मैंने पल्लवी मैडम का और सभी लोगो का शुक्रिया अदा किया....और अपने सभी INTERNS FRIEND को अलविदा कह दिया.....
अब बात करता हूँ! यहाँ के सीनियर एडिटर संजय सर की! वे बहुत अच्छे स्वाभाव के इंसान है! उनसे बात करके कभी ऐसा नही लगा कि वो मुझे सिर्फ़ एक INTERN की तरह देखते हो! वे जब भी मुझसे मिलते तो दोस्तों की बात करते! बल्कि संजय सर ने ही मुझे IBN7INTERNS का ब्लॉग बनाने का मौका दिया!
जब सबसे पहले दिन मै मनोज सर के साथ शूट पर गया था! तब उन्होंने मुझे मीडिया के बारे मे कुछ जानकारियाँ दी! लेकिन जो बात मैंने "कुनाल" सर मे देखी वो बात मुझे किसी मे देखने को नही मिली! वो मुझे अपने भाई की तरह मानते है! उन्होंने मुझे मीडिया के बारे मे कई खास जानकारियां दी! और उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला! उनके साथ रहने पर मैंने एक गर्व महसूस किया! मगर मेरे कहने का मतलब ये नही कि बाकी और रिपोर्टर ने मुझे कुछ नही सिखाया! सभी से कुछ न कुछ सीखने को मिला!
अगर कैमरामैन की बात की जाए तो, सबसे पहले बड़े दिल वाले कैमरामैन का नाम लेना चाहूँगा! जिन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढाया! और कभी मुझे दोस्तों की कमी महसूस नही होने दी! उनके नाम है :- आयाज़ सर, राजेन्द्र सर, और जीत सर...... बाकी और कैमरामैन भी बहुत अच्छी आदत के है! लेकिन मुझे ये बात बताते हुए बहुत अफ़सोस हो रहा है! कि IBN7 में दो-तीन कैमरामैन ऐसे है! जो INTERNS को कुछ समझते ही नही.......और मजाक भी उड़ाते है!
दि कभी वो मेरा ये संस्मरण पढेगे तो शायद उन्हें अपनी गलती का एहसास हो जाये! ताकि आने वाले INTERNS के सामने ऐसी दिक्क़त पेश न आए......और आख़िर में सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूँगा कि मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना नही है! अगर मेरे इस (लेख) संस्मरण से किसी के दिल को चोट पहुँचती है! तो वो मुझे माफ़ कर दे!
"धन्यवाद"
आपका अपना "शाहबाज़ अहमद" , आज का INTERN कल का REPORTER